विप्र धेनु सुर संत ये चार,सनातन धर्म के मूलाधार (आचार्य अभिषेक)
संवाददाता/अरुण जोशी
कानपुर। बाबा महाकाल यज्ञ सेवा समिति के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा की विप्र,गाय,देवता तथा सन्त-ये चार सनातन धर्म एवं संस्कृति के मूलाधार हैं,विप्र के बिना धर्म के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान एवं प्रतिपादन तथा आचरण संभव नहीं है,धेनु के बिना यज्ञादि धार्मिक क्रियायें संपन्न नहीं हो सकती हैं,देवताओ की कृपा के अभाव में सत्कर्मों का फल उचित प्रकार से नहीं मिल सकता है तथा प्राणी के गुणों का विकास नहीं हो सकता है,सन्त या सज्जन वास्तविक धर्मानुयायी तथा मानवीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं। और भगवान् इन्हीं चार के परिरक्षण के लिए अवतार धारण करते हैं,सम्पूर्ण विश्व उस लीला पुरुषोत्तम की क्षण-क्षण परिवर्तनशील एक अद्भुत लीला है,हम सभी जीव उसमें पात्र हैं,प्रारब्ध लेख ही हमारी पटकथा है,हमें अपनी भूमिका का निर्वहन पूर्ण कुशलता से करना चाहिए,परन्तु हमें सर्वदा यह भी स्मरण रखना चाहिए कि इस जगन्नाटक के सूत्रधार वह जगन्नियन्ता ही हैं,कभी-कभी वह भी इस महानाटक में सम्मिलित होने पधारते हैं उनके इसी आगमन का नाम अवतार है ! ज्योतिषाचार्य नरेन्द्र शास्त्री ने बताया कि देवताओं ने जब भगवान् की गर्भस्तुति की तो सत्य कहकर वंदन किया है क्योंकि एकमात्र परमप्रभु ही सत्यस्वरूप हैं,शेष समस्त संसार निःसार है,भगवत्कथा के निरन्तर श्रवण से संसार की सत्यता का ज्ञान होता है और संसार की सत्यता का ज्ञान होने पर मनुष्य के मन में भगवच्चरणाम्बुजों के प्रति विश्वास ऊत्पन्न होता है।जब प्रभुचरणों में विश्वास स्थिर हो जाता है,तब संसारसागर को वह अनायास पार कर जाता है। भगवान् श्रीकृष्ण के पावन जन्मोत्सव की कथा समास व्यास विधि से सम्पन्न हुई,श्रोताओं ने भगवान् का दिव्यतम स्वागत किया इस अवसर पर,..उ प्र सरकार की पूर्व मन्त्री वर्तमान विधायक नीलिमा कटियार,संस्कृत भारती कानपुर प्रान्त के प्रान्त साहित्य प्रमुख मनोज जी, विजयलक्ष्मी शर्मा,सीए राजेश ठाकुर, रोहित ठक्कर,जे,पी त्रिपाठी, राघवेन्द्र मिश्र, गीता निगम,दीपा निगम, अनीता अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।