समस्त चराचर के सुहृद् हैं सर्वेश्वर परमात्मा (आचार्य अभिषेक)
संवाददाता/अरुण जोशी
कानपुर। बाबा महाकाल यज्ञ सेवा समिति के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथावाचक आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा सर्वेश्वर परमात्मा समस्त चराचर के सुहृद् अर्थात् निर्हेतुक हित करनेवाले हैं,अत: हम सभी को भी परस्पर हित करना चाहिए,इसी में जीवन की सार्थकता है,सदाचार धर्म का लक्षण है और चरित्र सज्जनों का लक्षण है सम्मान के अनेक हेतुओं में सदाचार प्रमुख है,किन्तु स्वल्प भौतिकसुखों के लोभ में हम सदाचारविहीन हो रहे हैं,यह चिन्तनीय है,किसी भी मनुष्य की श्रेष्ठता का मानदण्ड उसका चरित्र होता है।चरित्र एक वृक्ष की तरह है और प्रतिष्ठा,यश,सम्मान उसकी छाया,लेकिन आज बिडम्बना यह है कि वृक्ष का ध्यान बहुत कम लोग रखते हैं,और छाया सबको चाहिये,चरित्र की उत्कृष्टता या शुचिता उसकी आर्थिक शुचिता पर आश्रित होती है।आर्थिक शुचिता भी अर्थ के सदुपयोग पर निर्भर होती है और कहा मनुष्य अपने विवेक के अनुसार शुभाशुभ कर्मों के संपादन में पूर्ण स्वतन्त्र है,वह धर्मानुसार आचरण कर सकता है और धर्म के विरुद्ध भी,किन्तु कर्मों का परिणाम उसकी इच्छा पर आश्रित नहीं है।कर्मों का फल परमात्मा की व्यवस्था पर निर्भर है। सुदामा चरित्र,अवधूत उपाख्यान आदि के साथ आज यह कथा विश्राम को प्राप्त हुई आज समिति के पदाधिकारियों का सम्मान किया गया जिसमें, डॉ संध्या, विजयलक्ष्मी शर्मा, दीपा निगम, गीता निगम, अनीता अग्रवाल, अजित श्रीवास्तव, असीम श्रीवास्तव, नेहा मिश्रा, पुष्पा सिंह चौहान, प्रेमा यादव,मन्जूमिश्रा,यज्ञकान्त शुक्ल,वैश्नवी मिश्रा को 95% हाईस्कूल में प्राप्त होने पर सम्मानित किया गया,कमलेश जी,आचार्य नरेन्द्र शास्त्री जी ने बताया की कल प्रातः मनोकामना पूर्ति यज्ञ और भडारे का आयोजन होगा,जिसमें विविध विद्यालयों के बटुक,संत,भक्तजन उपस्थित रहेंगे l