उत्तमजनों के संसर्ग से प्राप्त होती है श्रेष्ठता-आचार्य अभिषेक शुक्ल
संवाददाता/अरुण जोशी
कानपुर। बाबा महाकाल यज्ञ सेवा समिति के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर आचार्य अभिषेक शुक्ल जी ने कहा सत्सङ्ग का परिणाम शुभ तथा कुसङ्ग का परिणाम अशुभ होता है,विद्या,सत्कर्म तथा चरित्रादि की दृष्टि से उत्तमजनों का संपर्क करता हुआ तथा अधमजनों का त्याग करता हुआ मानव श्रेष्ठता को प्राप्त होता है,इसके विपरीत विद्यादि से विहीन जनों का संसर्ग करनेवाला तथा विद्यादि से सम्पन्न उत्तमजनों का त्याग करनेवाला मानव निकृष्टता को प्राप्त होता है,भगवान् श्रीकृष्ण का समग्र जीवन अधर्म के संहार तथा धर्म के संरक्षण में व्यतीत हुआ।वेदशास्त्रप्रतिपादित सिद्धान्तों का सारसर्वस्व उनकी वाणी गीता में प्रदीप्ततर है,हमें उनकी श्रीमद्भगवद्गीता के सिद्धान्तों के अनुसार जीवनयापन का सुदृढ़ संकल्प स्वीकार करना चाहिए,ऐसा करने से हम न केवल आत्मजीवन को सुशक्त कर सकेंगे,अपितु अशान्ति की प्रबलज्वाला से परितप्त विश्वमानवता को ज्ञानवारिद का शीतलजल संप्रदान कर सकेंगे,गोवर्धन पर्वत उठाकर भगवान ने ब्रजवासियों का रक्षण किया उसी प्रकार जीवन मे आये हुए प्रलयकारी संकट से एकमात्र भगवान् ही हमारी रक्षा कर सकते हैं,इसलिए सभी प्रकार से अपने कल्याण की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को,एकमात्र भगवान् के ही शरणापन्न होना चाहिए,भगवान् श्रीकृष्ण की बाल लीला,पूतना वध,माखन चोरी,मृदाभक्षण,गोवर्धन धरण की कथा का समास व्यास विधि से वर्णन किया,इस अवसर पर.सं भा संगठन से निमिष जी, संध्या जी, आस्था जी,सुनील सिंह भदौरिया, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रान्त संघचालक भवानभीख तिवारी,वीएन एसडी शिक्षा निकेतन के प्रधानाचार्य बृजमोहन जी, नर सेवा नारायण सेवा न्यास के अध्यक्ष अवधबिहारी मिश्र, समिति अध्यक्ष,मठ प्रबन्धक ज्योतिषाचार्य नरेन्द्र शास्त्री उपस्थित रहे l