नाग पंचमी के दिन प्रकृति संरक्षण पर कार्य कर रही संस्था द्वारा दर्जनों सांपों को सपेरे से मुक्त कराया गया
समय व्यूज समाचार सेवा
सावन के शुरू होते ही सपेरो के द्वारा सांपों पर क्रूरता बढ़ जाती है यही समय होता है जब सपेरो के द्वारा सांपों को पड़कर उनके विषदंत और विषग्रंथि निकालकर उन्हें भूख प्यासा रखकर प्रदर्शन किए जाते है।
सिद्धनाथ मंदिर मुख्य महंत श्री आदरणीय बाल योगी अरुण चैतन्य जी महाराज (सेवक अरुण पुरी जी महाराज) ने भी लोगों को जागरूकता संदेश इन सपेरों द्वारा करी जा रही क्रूरता पर दिया।
सावन के चलते एवं नाग पंचमी के दिन तक संस्था द्वारा सपेरे से कई दर्जन सांप जिसमें कोबरा 28 , रेट स्नेक 8 ,सेंड बोआ 25 को कानपुर के अलग-अलग स्थान से रेस्क्यू किया गया और उन्हें जंगलों में आजाद किया गया कुछ की हालत गंभीर थी मुंह में बहुत ही ज्यादा इन्फेक्शन थे मुंह फेवीक्विक से भी चिपके हुए थे उन्हें प्राथमिक चिकित्सा देकर फिर छोड़ गया।
अगर आपने कभी सपेरे से बात करी हो तो आपने अक्सर यह सुना होगा की बहुत सपेरे कहते हैं कि हम इन्हें सावन में दर्शन करने के लिए पकड़ते हैं और नाग पंचमी के दिन उन्हें छोड़ देते हैं।
आपको बता दें जो सांप सावन की शुरुआती दिनों में ही पकड़ लिए जाते हैं खासकर कोबरा प्रजाति यह सांप नाग पंचमी आते-आते इतना ज्यादा डिहाइड्रेट हो जाते हैं और उनके मुंह में इतना इंफेक्शन हो जाता है कि यह नाग पंचमी आने से पहले या नाग पंचमी के एक-दो दिन बाद ही मर जाते हैं।
आज नाग पंचमी के दिन अलग-अलग स्थान पर जब सांपों की स्थिति देखी गई तो उसमें 50% से अधिक सांप बहुत ज्यादा डिहाइड्रेट हालत में थे।
जिन्हें पानी पिलाने के बाद छोड़ा गया।
आप सभी को जानकारी के लिए यह बता दें कि जो सपेरे यह कहते हैं कि हम इन्हें चूहा खिलाते हैं या मांस का टुकड़ा खिलाते हैं या आटा ,सत्तू आदि खिलाते हैं तो यह गलत है क्योंकि सांप जिंदा शिकार ही करता है।