बृजेश क्षमा फाउंडेशन के तत्वाधान में (सत्संग अमृत की ओर)आध्यात्मिक संबोधन श्री राम वाटिका में हुआ संपन्न

समय व्यूज समाचार सेवा

कानपुर_बृजेश क्षमा फाउंडेशन के तत्वाधान में (सत्संग अमृत की ओर)आध्यात्मिक संबोधन श्री राम वाटिका में हुआ संपन्न आपको बताते चलें दिनांक 14/12/2025 दिन रविवार को गल्ला मंडी तोधकपुर स्थित श्री राम वाटिका में सत्संग अमृत की और आध्यात्मिक संबोधन में तनाव मुक्ति व अखण्ड शांति हेतु शरणागती सर्वोत्तम बिन सत्संग विवेक न होई। हरि कृपा बिन सुलभ न सोई !! उपरोक्त चौधाई का दर्शन कराते हुए श्री एस. बी. के. भईया ने समाज को यह सन्देश दिया है। जिसमें यह अनुभूति हो कि यदि जीवन को जानना चाहते हो तो दूसरों के लिये कष्ट सहन और त्याग ही धर्म जीवन का प्रण है। आध्यात्मिक आदर्श रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गाँधी, विनोबा भावे, डा. राधाकृष्णन, लोकमान्यतिलक, नानक, कबीर, तुलसी आदि हैं। श्री भैया जी का कहना है कि मैं अपने लिये नहीं अपनों के लिये हूँ। अपने वो हैं जी गरीब और वंचित है। स्वामी विवेकानन्द का एक बोधवाक्य हमेशा स्मरण रहता है कि मैं उसी को महात्मा कहता हूं अन्यथा जिसका हृदय गरीबों के लिये रोता है अन्यथा वह तो दुरात्मा। स्वामी परमहंस रामकृष्ण के स्मरण में उनका वचनामृत अक्सर याद आता है कि शालिग्राम से भी मनुष्य बड़ा है, प्रतिमा में ‘उनका’ अर्विभाव होता है, और भला मनुष्यों में क्यों नहीं ? भगवान से प्राप्त बुद्धि और बल के अनुसार वह सेवा में उतरते जा रहे हैं। आध्यात्मिक भावनाओं का उदय हुए बगैर परोपकार की भावना का विकास नहीं होता है अच्छे संस्कार के बिना मनुष्य के द्वारा अच्छे कर्म नहीं हो सकते। परोपकार से बढ़कर कोई उत्तम कर्म नहीं और दूसरों को कष्ट देने से बढ़कर कोई नीच कर्म नहीं। परोपकार की भावना ही वास्तव में मनुष्य को मनुष्य बनाती है। किसी वास्तविक अभावग्रस्त व्यक्ति की निस्वार्थ भाव से अभाव की पूर्ति करने के बाद जो सन्तुष्टि प्राप्त होती है इससे उसकी (जीव आत्मा का विस्तार होता है। और वह जन-जन के कल्याण की ओर अग्रसर होता है। यह बात बृजेश क्षमा मिशन द्वारा आयोजित सत्संग में मुख्य प्रवक्ता व आध्यात्मिक शिक्षक श्री एस. बी. के भईया ने बताई। श्री एस.बी.के जी ने बताया कि प्रकृति सृष्टि की नियामक है, जिसने अनेक प्रकार की प्रजातियों की रचना की है, और उन सभी प्रजातियों में सर्वश्रेष्ठ प्रजाति मनुष्य है जिस को पाकर जीव मुक्ति को प्राप्त हो सकता है। मानव शरीर के मुख्य द्वार जीव्हा पर हम राम नाम को रख कर इस संसार सागर से पार हो सकते है। यह बात वेद, शास्त्र भी कहते हैं। मौके पर श्री बृजेश तिवारी, श्री पंकज तिवारी, हिमांशू ओमर श्री दशरथ प्रसाद, पंकज शुक्ला,राजेन्द्र चौहान, धर्मेन्द्र भदौरिया, संतोष, गीता सिंह, जया मिश्रा, अरविन्द्र अग्निहोत्री, सुधाकर पाण्डे, पूनम द्विवेदी, बलराम यादव, श्याम जी, शुभम, अनीता पाण्डे, सीमा शुक्ला, रानी शर्मा, प्रतिमा द्विवेदी, स्वाती, ज्योति ,शंकर दयाल दुबे आदि सैकड़ो गणमान्य लोग उपस्थित रहे






