Sunday, May 18, 2025
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दृढ़संकल्प का प्रतीक: दोनों हाथों से अक्षम अक्षित रावत ने 5 किमी मैराथन पूरी की समय व्यूज समाचार सेवा संवाददाता हकीम आजाद

दृढ़संकल्प का प्रतीक: दोनों हाथों से अक्षम अक्षित रावत ने 5 किमी मैराथन पूरी की

समय व्यूज समाचार सेवा
संवाददाता हकीम आजाद

दिल्लीआर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (AHRR) में फिटिस्तान द्वारा आयोजित “वेंकीज़ AHRR सोल्जराथन” में दिल्ली के 23 वर्षीय अक्षित रावत ने साहस, संकल्प और आत्मबल की अद्वितीय मिसाल पेश की। दोनों हाथों से अक्षम होने के बावजूद अक्षित ने 5 किलोमीटर लंबी चुनौतीपूर्ण मैराथन पूरी कर यह सिद्ध कर दिया कि सच्ची शक्ति शरीर में नहीं, बल्कि मन में बसती है।

अक्षित रावत ने अपने दोनों हाथ एक भयंकर दुर्घटना में खो दिए थे, जब वह उच्च वोल्टेज की 11,000 वोल्ट की बिजली की चपेट में आ गए थे। लेकिन इस भीषण त्रासदी ने न तो उनके हौसले को तोड़ पाया, न ही उनके सपनों को। अक्षित ने विपरीत परिस्थितियों को अपनी ताकत बनाया और निरंतर कठिन परिश्रम व अभ्यास से स्वयं को नया जीवन दिया।

अपनी दौड़ पूरी करने के बाद भावुक अक्षित ने कहा, “मेरे लिए दौड़ना केवल एक प्रतियोगिता नहीं है, बल्कि यह जीवन की कठिनाइयों से लड़ने का प्रतीक है। हर कदम मेरे आत्मविश्वास का उत्सव है।”

फिटिस्तान के आयोजकों ने अक्षित के अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा, “अक्षित ने यह प्रमाणित कर दिया है कि शारीरिक अक्षमता किसी भी प्रकार से आत्मबल, इच्छाशक्ति और सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती। उनका साहस आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।”

इस Soldierathon में सैकड़ों प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें अधिकांश पूर्णतः सक्षम थे। फिर भी अक्षित रावत की मेहनत, अनुशासन और जज़्बे ने सभी के दिलों को छू लिया। समारोह के समापन पर आयोजकों ने उन्हें विशेष पुरस्कार और सम्मान-पत्र प्रदान कर उनकी उपलब्धि को सम्मानित किया।

अक्षित रावत की कहानी केवल एक खेल प्रतियोगिता में सफलता की नहीं है, बल्कि यह मानवीय आत्मबल, सकारात्मक सोच और जीवन से कभी हार न मानने की भावना की जीवंत मिसाल है। उन्होंने अपने साहसिक प्रयास से यह संदेश दिया कि चाहे जीवन में कितनी भी बड़ी बाधा क्यों न आए, यदि इरादे मजबूत हों और दिल में विश्वास हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं रहती।


संवाददाता हातिम आजाद

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